जनकल्याण मानवाधिकार फाउंडेशन एक ऐसी दुनिया की कल्पना करता है जहां हर व्यक्ति की अंतर्निहित गरिमा का सम्मान किया जाए और उनके मौलिक अधिकारों को बिना किसी भेदभाव के बरकरार रखा जाए। समानता, न्याय और एकजुटता के सिद्धांतों पर आधारित, हम दुनिया भर में हाशिए पर रहने वाले और कमजोर समुदायों के लिए सकारात्मक और स्थायी परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं।
हमारी दृष्टि के केंद्र में व्यक्तियों को अपने अधिकारों का दावा करने और उनका उपयोग करने के लिए सशक्त बनाना है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास करते हैं कि सभी लोगों को न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और गरिमापूर्ण जीवन के लिए आवश्यक अन्य आवश्यक सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो। अन्याय से सबसे अधिक प्रभावित लोगों की आवाज़ को बढ़ाकर, हम उन दमनकारी प्रणालियों और संरचनाओं को चुनौती देना चाहते हैं जो असमानता और भेदभाव को कायम रखते हैं।
हमारा दृष्टिकोण समग्र और अंतर्विरोधी है, जो उत्पीड़न के विभिन्न रूपों के अंतर्संबंध को पहचानता है। हम महिलाओं, बच्चों, विकलांग व्यक्तियों और स्वदेशी लोगों सहित हाशिए पर रहने वाले समुदायों के साथ एकजुटता से खड़े हैं, उनके अधिकारों की वकालत कर रहे हैं और वैश्विक मंच पर उनकी आवाज उठा रहे हैं।
रणनीतिक वकालत, कानूनी हस्तक्षेप, जमीनी स्तर पर लामबंदी और क्षमता निर्माण पहल के माध्यम से, हम मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए सरकारों, निगमों और अन्य अभिनेताओं को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास करते हैं। हम मानवाधिकार स्थितियों, दस्तावेजों के दुरुपयोग की निगरानी करते हैं और न्याय और जवाबदेही की मांग के लिए अंतरराष्ट्रीय तंत्र का लाभ उठाते हैं।
सहयोग हमारे काम का केंद्रबिंदु है। हम अपने सामूहिक प्रभाव को मजबूत करने और संसाधनों को अधिकतम करने के लिए स्थानीय संगठनों, नागरिक समाज समूहों और जमीनी स्तर के आंदोलनों के साथ साझेदारी करते हैं। एकजुटता और समर्थन के नेटवर्क को बढ़ावा देकर, हम लचीले समुदायों का निर्माण करते हैं जो अपने अधिकारों की वकालत करने और जमीनी स्तर से स्थायी परिवर्तन लाने में सक्षम हैं।
अपने दृष्टिकोण के अनुसरण में, हम पारदर्शिता, अखंडता और नैतिक आचरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अटल हैं। हमारा मानना है कि साहस, करुणा और दृढ़ संकल्प के साथ मिलकर काम करके, हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकते हैं जहां मानवाधिकार न केवल कानून में निहित हैं बल्कि व्यवहार में भी पूरी तरह से लागू होंगे, जिससे सभी के लिए सम्मान, समानता और न्याय का भविष्य सुनिश्चित होगा।
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आज हमारा समाज अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों की जानकारी से कोसों दूर खड़ा है बहुत बड़ी जनसंख्या को अपने अधिकार नहीं मालूम और जिनको मालूम भी हैं उनको यह नहीं मालूम कि वह अधिकारों का हनन होने पर शिकायत कहां करें । इस अनभिज्ञता की वजह से वह अपने को ठगा सा महसूस करते हैं, इसी तरह हम लोग अपने कर्तव्य से भी अनभिज्ञ होते हैं जिसकी वजह से हम देश एवं समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पूर्ण रूप से निर्वहन नहीं कर पाते। मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण ऑर्गेनाइजेशन अन्य सामाजिक कार्यों के साथ-साथ आपको आपके अधिकार दिलाने के साथ आपको आपके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए कार्य करता है। संस्था के पदाधिकारी एवं सदस्य पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए निरंतर तत्पर रहते हैं। जिससे हमारे मानवाधिकारों का हनन ना हो सके। हम आपकी आवाज बनने को तैयार हैं बस आप अपना हाथ तो हमारी तरफ बढ़ाएं। हम आपकी समस्या को अपनी समस्या मानकर समाधान कराने को तैयार हैं बस आप अपने अधिकारों को पाने की दृढ़ इच्छा तो दिखाएं। हमें इतना ध्यान रखना है कि हम अपने अधिकारों के साथ-साथ इस देश और समाज के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन भी करने से पीछे ना हटे। और साथ साथ कदम से कदम मिलाकर आंगे बढ़ने का संकल्प के साथ सम्पूर्ण भारत वर्ष में मानवाधिकार को दिलाने में हमारे साथ मिलकर साथ बढ़ें
आज पूरे विश्व में ताकत और पैसे के बल पर होने वाली हिंसा इस बात का प्रत्यक्ष सबूत है कि मानवता खतरे में है। हालात ऐसे हैं कि यदि मानव पर कोई सामाजिक और विधिक नियंत्रण न हो तो वह खुद की श्रेष्ठता साबित करने के लिए मरने मारने को तैयार नज़र आएगा। वास्तव में आज दुनिया में संपन्न और शक्तिशाली लोगों के बीच यदि आम जनता सुरक्षित ढंग से रह पा रही है तो उसका एकमात्र कारण सबको मिलने वाला तथाकथित मानवाधिकार है। यूँ तो मानवाधिकार सबके लिए समान है किन्तु इसका वास्तविक लाभ उसे ही मिल पता है जिसके पास पर्याप्त जानकारी, सामर्थ्य अथवा संसाधन उपलब्ध हैं। हमारी संस्था ऐसे लोगों के लिए जिनके मानवाधिकारों का हनन हो रहा है उसको सुरक्षा एवं संरक्षण दिलाने के लिए हमेशा तत्पर है।
समूची दुनिया अनेका नेक कारणों से तेज बदलाव के दौर से गुजर रही है। इस बदलाव की दौड़ में हमारी स्थापित मान्यतायें, जीवन मूल्य, सांस्कांरिक व्यवस्थायें भी आहत हुई, साथ की आहत हुई मानवीय गरिमा। मानवीय गरिमा मानव-मानव के बीच परस्पर संबंध सभी जाति, धर्म, भाषा, नस्ल, क्षेत्र, लिंग आदि भेदों से परे होने चाहिये थे पर दुर्भाग्य से ऐसा न हो सका। वे शांति सदभाव प्रेम, सहयोग और समरसता के भाव विलीन हो गये। कालचक्र ने मनुष्यों के बीच कटुता वैमनष्य, द्वेष, घृणा, हिंसा, लालच जैसे विष से भर दिया। मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण आर्गेनाइजेशन उन्हीं शाश्वत मानवीय संबंधों मूल्यों एवं अधिकारों के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति कटिबद्ध एक छोटा सा प्रयास है। संगठन परिवार के प्रत्येक सम्मानित सदस्य ने मानवाधिकारों के अनेक पक्षों पर निःसंदेह योगदान दिया है। कोरोना काल की त्रासदी में , संगठन का सहयोग कभी भूला नही जा सकता। पर्यावरण की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, सफाई, खोये लोगों को राहत के साथ अनेक क्षेत्रों में अल्प अवधि में सराहनीय कार्य किये है। संगठन परिवार का प्रत्येक सदस्य साधुवाद और बधाई का पात्र है। अनेक अनेक मंगलकामनायें